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नज़्म ( जीवन अपना राज़ बता दें)

नज़्म ( जीवन अपना राज़ बता दें)

कितनी तक़लीफ़े दी हैं तू ने अय जीवन अपना राज़ बता दें,
है सोज़ भरा जीवन मेरा तू सोज़ भरा एक साज बजा दे।

तक़लीफ़ भरे इस जीवन मे कितने ही छोड़ गये  मुझको,
जो भी बेग़ाने हुए मुझसे तू उनको एक आवाज़ लगा दे।

मै लाज भरी ग़म की बदली मै नाज़ क्या किसी को दिखाऊंगी,
मुझको तो गुरूर नहीं कोई, 'गर हो कोई तो उसे मिटा दे।

जाने क्या नाराज़गी है तेरी अय जीवन कुछ तो मुझे बता दे,
मैं यूं ही मिट न जाऊं कभी अय जीवन कुछ तो रहम दिखा दे।

मैंने तुझसे कुछ न चाहा है किसी से मेरी कोई चाहत ही नहीं,
अब चाहे तो कुछ रहम कर दे मुझ पर या फ़िर अपनी सामर्थ्य जता दे।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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4 Comments

Punam verma

28-Jan-2023 08:40 AM

Very nice

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Abhinav ji

28-Jan-2023 07:51 AM

Very nice 👍

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बहुत ही सुंदर सृजन

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